
जानकारी विस्तार से
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि संदीप विजन ने अपने ड्राइवर और उसके रिश्तेदारों को लालच देकर करोड़ों रुपये की आदिवासी भूमि उनके नाम पर खरीदी। इसके बाद उन जमीनों को धोखे से सामान्य भूमि में परिवर्तित करने की कोशिश की गई। ड्राइवर ने स्पष्ट आरोप लगाए हैं कि वह केवल एक मोहरा था और असली मकसद आदिवासी भूमि की धोखाधड़ी से खरीद-फरोख्त करना था।मामले की गंभीरता को देखते हुए उप पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने जांच के आदेश दे दिए हैं। पुलिस अब पूरे मामले की तह तक जाकर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं किसी बड़े ज़मीन माफिया रैकेट का हिस्सा तो यह पूरा गिरोह नहीं है। मध्यप्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की ज़मीन को गैर-आदिवासियों को बेचना कानूनन प्रतिबंधित है। ऐसी ज़मीनों को केवल विशेष प्रक्रिया और कलेक्टर की अनुमति के बाद ही बेचा जा सकता है। ऐसे में अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल एक कानूनी अपराध है बल्कि आदिवासी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है।
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