
सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षा विभाग समय-समय पर आकस्मिक निरीक्षण करता है, लेकिन बुधवार को हुए एक निरीक्षण में चौंकाने वाला मामला सामने आया। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पहाड़ी निवार में 7 अगस्त 2025 को पहुंचे निरीक्षण दल ने पाया कि कक्षा में दो शिक्षिकाएं गाइड की मदद से छात्रों को पढ़ा रही थीं। जांच में सामने आया कि शिक्षिकाएं श्रीमती जयंती इक्का और श्रीमती संध्या तिवारी उस समय कक्षा में प्रचलित पाठ्यपुस्तक की जगह गाइड का उपयोग कर रही थीं।
शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी सरकारी स्कूल में गाइड या रेडीमेड नोट्स से पढ़ाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। शिक्षकों को केवल पाठ्यपुस्तकों के आधार पर ही पाठ पढ़ाने का निर्देश है, ताकि छात्र विषय की गहराई से समझ विकसित कर सकें और रटने की प्रवृत्ति से बचें।
विभाग का मानना है कि गाइड से पढ़ाने पर बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है और यह शिक्षण पद्धति के मानकों के विपरीत है। यही कारण है कि इसे सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के उल्लंघन और कदाचार की श्रेणी में रखा गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 16 के तहत दोनों शिक्षिकाओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस में उनसे सात दिन के भीतर लिखित जवाब देने को कहा गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसमें चेतावनी, वार्षिक वेतनवृद्धि पर रोक, या निलंबन जैसे दंड शामिल हो सकते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई केवल दंडात्मक उद्देश्य से नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है। विभाग का मानना है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को उच्चस्तरीय शिक्षा देने के लिए सख़्ती ज़रूरी है, ताकि छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं और भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।
विभाग का मानना है कि गाइड से पढ़ाने पर बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है और यह शिक्षण पद्धति के मानकों के विपरीत है। यही कारण है कि इसे सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के उल्लंघन और कदाचार की श्रेणी में रखा गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 16 के तहत दोनों शिक्षिकाओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस में उनसे सात दिन के भीतर लिखित जवाब देने को कहा गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसमें चेतावनी, वार्षिक वेतनवृद्धि पर रोक, या निलंबन जैसे दंड शामिल हो सकते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई केवल दंडात्मक उद्देश्य से नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है। विभाग का मानना है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को उच्चस्तरीय शिक्षा देने के लिए सख़्ती ज़रूरी है, ताकि छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं और भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।
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