
ख़ुशी टाइम्स\बैतूल। सेकेंड ईयर नर्सिंग की छात्रा अमृता नायर (21), जो जयपुर के धावास की रहने वाली थी, अपनी सहेली एंजल थॉमस के साथ यात्रा कर रही थी। ट्रेन रुकते ही अमृता पानी लेने नीचे उतरी। चंद पल बाद ही ट्रेन अचानक चल पड़ी। अमृता ने भागते हुए ट्रेन पकडऩे की कोशिश की, लेकिन एक चूक जि़ंदगी की आखिरी सांस बन गई।
जानकारी विस्तार से
मैसूर से जयपुर आ रही जयपुर एक्सप्रेस (12975) रविवार दोपहर मध्यप्रदेश के बैतूल स्टेशन पर रुकी थी। सेकेंड ईयर नर्सिंग की छात्रा अमृता नायर (21), जो जयपुर के धावास की रहने वाली थी, अपनी सहेली एंजल थॉमस के साथ यात्रा कर रही थी। ट्रेन रुकते ही अमृता पानी लेने नीचे उतरी। चंद पल बाद ही ट्रेन अचानक चल पड़ी। अमृता ने भागते हुए ट्रेन पकडऩे की कोशिश की, लेकिन एक चूक जि़ंदगी की आखिरी सांस बन गई। वो चलती ट्रेन में चढऩे की कोशिश में फिसलकर ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच फंस गई। सामने खड़े एक यात्री ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह भी हादसे में घायल हो गया। इस मर्मांतक दृश्य को जिसने भी देखा, उसकी रूह कांप गई।
हादसे के बाद ट्रेन को करीब आधे घंटे प्लेटफॉर्म पर रोका गया। cctv फुटेज में हादसे की पूरी घटना कैद है। रेलवे पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, अमृता का एक सपना, जो अधूरा रह गया… अमृता नायर बेंगलुरु के फेथ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग में सेकेंड ईयर की छात्रा थी। नर्स बनने का सपना लेकर घर से दूर पढ़ाई कर रही थी। वो छुट्टियों में अपने घर जयपुर लौट रही थी, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही उसकी लाश पहुंची।सहेली एंजल थॉमस के सामने ही उसकी दोस्त जिंदगी की जंग हार गई। ट्रेन की आवाज़ें, यात्रियों की चीखें, और प्लेटफॉर्म पर पसरा सन्नाटा उस क्षण को बयां कर रहा था जिसे शब्दों में ढालना मुश्किल है।
हादसे के बाद ट्रेन को करीब आधे घंटे प्लेटफॉर्म पर रोका गया। cctv फुटेज में हादसे की पूरी घटना कैद है। रेलवे पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, अमृता का एक सपना, जो अधूरा रह गया… अमृता नायर बेंगलुरु के फेथ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग में सेकेंड ईयर की छात्रा थी। नर्स बनने का सपना लेकर घर से दूर पढ़ाई कर रही थी। वो छुट्टियों में अपने घर जयपुर लौट रही थी, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही उसकी लाश पहुंची।सहेली एंजल थॉमस के सामने ही उसकी दोस्त जिंदगी की जंग हार गई। ट्रेन की आवाज़ें, यात्रियों की चीखें, और प्लेटफॉर्म पर पसरा सन्नाटा उस क्षण को बयां कर रहा था जिसे शब्दों में ढालना मुश्किल है।
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