
जबलपुर। इन दिनों पड़ रही कड़ाके की ठंड से न सिर्फ मनुष्य बल्कि वन्य प्राणी भी प्रभावित हैं। जल में रहने वाले जलचर भी ठंड से राहत पाने धूप सेंकने निकल रहे हैं। मगरमच्छों की शरणस्थली बन चुके परियट जलाशय से लगे गांव मटामर, घाना, रिठौरी, पिपरिया सहित आसपास की कालोनियों के पास भी अक्सर धूप सेंकते मगरमच्छ दिखाई दे रहे हैं। ये मगरमच्छ भटककर और शिकार की तलाश में रहवासी इलाकों में पहुंच रहे हैं, जिससे लोगों में दहशत है। ग्रामीण वन विभाग को सूचना दे रहे हैं, वहीं वन विभाग के अधिकारी सिर्फ रेस्क्यू का आश्वासन दे रहे हैं।
विदित हो कि मगरमच्छों ने परियट नदी को प्राकृतिक रहवास बना लिया है। घाना स्थित चाकघाट क्षेत्र में मगरमच्छ की अत्यधिक मौजूदगी देखी जाती है। परियट नदी में करीब 1000 से अधिक मगरमच्छ हैं। इंसानी दखल बढ़ने से उनका प्राकृतिक निवास क्षेत्र घटता जा रहा है, यही कारण है कि वे रहवासी इलाकों तक पहुंचकर घरों में घुसने लगे हैं। पालतू श्वान और मवेशियों पर हमले के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि अब तक किसी मनुष्य पर हमला नहीं हुआ है। ग्राम सरपंच कई बार वन विभाग से मगरमच्छों से निजात दिलाने की मांग कर चुके हैं।
वन्य प्राणी विशेषज्ञ शकरेंद्र नाथ मुकर्जी के अनुसार परियट नदी मगरमच्छों का प्रमुख स्थल बन चुकी है। ठंड के दिनों में मगरमच्छ धूप सेंकने बाहर आते हैं और आबादी वाले क्षेत्रों में भटक जाते हैं। घाना, रिठौरी, मटामर और खमरिया से लगी कालोनियों में मगरमच्छ निकलने की घटनाएँ होती रहती हैं। ग्रामीण अब इनके साथ रहना सीख चुके हैं। वन विभाग को सूचना देने के बाद भी जब टीम नहीं पहुंचती, तो ग्रामीण तीन से चार फीट तक के मगरमच्छ स्वयं पकड़कर परियट नदी में छोड़ देते हैं।
हाल में देखे गए मगरमच्छ
सुखमीरा गोशाला कैलाशधाम में तीन फीट के दो मगरमच्छ मिले थे, घाना में खेत में कटाई कर रही महिला को मगरमच्छ खेत में धूप सेंकते दिखा, ग्राम घाना के लखपत यादव के मछली फार्म तक मगरमच्छ पहुंच गए थे, जिन्हें ग्रामीणों ने पकड़कर परियट में छोड़ा, गौरीघाट के पास खंदारी नाले में भी मगरमच्छ दिख चुके हैं
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