“भीड़ में खोए हुए अपराधी: सच्चाई जो आंखें नहीं देख पातीं”


समाज का हर इंसान एक जैसा नहीं होता कुछ लोग दिखने में बिल्कुल साधारण, शांत और सरल लगते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर उनमें एक अंधेरा छुपा होता है एक ऐसा सच, जो कभी लोगों के सामने नहीं आता जब तक कि कोई अपराध न हो जाए। आज के दौर में अपराध सिर्फ जंगलों, सुनसान रास्तों, या बदनाम इलाकों में नहीं होता,बल्कि वही लोग जो आपके पड़ोसी हों, आपके साथ काम करते हों, आपकी दुकान से रोज़ सामान लेते हों, या हर त्यौहार पर आपके साथ मिठाई बांटते हों कई बार वही सबसे बड़ा खतरा बन सकते हैं।
 

चेहरों के पीछे छुपी परछाइयाँ

समाज में बहुत से अपराधी ऐसे होते हैं जो दिखने में पूरी तरह सभ्य होते हैं। उनके कपड़े, उनका रहन-सहन, उनका बोलने का तरीका सब कुछ बिल्कुल सामान्य होता है। लेकिन अंदर ही अंदर वे अपनी निराशा, गुस्सा, या गलत इच्छाओं को दबाए रखते हैं। ये वही लोग होते हैं जो मौका मिलने पर अपने असली रूप में आ जाते हैं। यह अपराधी इसीलिए ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि: इनके ऊपर कोई शक नहीं करता ये लोगों के बीच घुले-मिले होते हैं ये भरोसे का नकाब पहनकर चलते हैं पुलिस भी इन्हें ढूंढने में ज्यादा समय लेती है।
 

मनोवैज्ञानिक अपराधी — दिमाग से खेलने वाले लोग

कुछ अपराधी हिंसा का इस्तेमाल नहीं करते। वे लोगों की भावनाओं, कमज़ोरियों और भरोसे का फायदा उठाते हैं। जैसे, धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधी, रिश्ता बनाकर शोषण करने वाले, पैसा उधार देकर ब्लैकमेल करने वाले। ये लोग अपने आसपास के इंसानों को इस तरह फंसाते हैं कि लोग समझ भी नहीं पाते कि कब वे शिकार बन गए।


पड़ोस, रिश्तेदारी और दोस्ती — जहां चेहरे छुपते हैं

अक्सर अख़बारों और खबरों में हम पढ़ते हैं कि, कत्ल, छेड़खानी, धोखा या हिंसा करने वाला कोई “अनजान इंसान” नहीं था बल्कि वही था जो सालों से पास में रह रहा था। यह इसलिए होता है क्योंकि अपराधी अपने आपको “नॉर्मल” दिखाने में माहिर होते हैं वे जानते हैं कि नज़दीकी रिश्ते में भरोसा ज्यादा होता है वे धीरे-धीरे रिश्ते का फायदा उठाते हैं घरेलू विवाद, जलन, पैसा और अवैध रिश्ते अपराध की वजह बनते हैं

समाज की चुप्पी—सबसे बड़ी मजबूती अपराधियों की

सबसे डरावनी बात यह है कि समाज इन संकेतों को अक्सर नजर अंदाज कर देता है। कई बार लोग सोचते हैं “ये हमारा मामला नहीं है…”कहीं गलत न निकल जाए”“हम क्यों बोलें या हमे उससे क्या लेना देना है ?” लेकिन यही चुप्पी अपराधियों के हौंसलो को बुलंद करता है। वे ऐसा सोचने लगते हैं कि कोई उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं करेगा।

रोकथाम --- पहचानना जरूरी, जागरूक होना जरूरी

समाज में छिपे अपराधियों की पहचान मुश्किल जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। कुछ संकेत, जिन पर हमेशा ध्यान देना चाहिए अचानक व्यवहार में बदलाव गुस्सैल, हिंसक या नियंत्रित करने वाली आदतें रात में गुप्त तरीके से बाहर रहना दूसरों की निजी जिंदगी में बेवजह दिलचस्पी पैसों का अचानक गलत इस्तेमाल बच्चों या महिलाओं के प्रति असामान्य रवैया सोशल मीडिया पर गुप्त गतिविधियाँ जागरूकता ही अपराध रोकने का पहला कदम है।


समाज में छिपे अपराधी किसी कहानी, फिल्म या अफवाह का हिस्सा नहीं हैं। वे असलियत हैं खतरनाक और हमारे बिल्कुल करीब इसलिए हमें सिर्फ बाहरी चेहरों पर भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि उनके व्यवहार  इरादों और बदलती आदतों को भी समझना चाहिए।

अपराध रोकना पुलिस का काम है,
लेकिन उसे पहचानना समाज का कर्तव्य है।

Special Sunday
Edition No : 100
अताउर रहमान की रिपोर्ट

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