UP News: जूडो खिलाड़ी के साथ दुष्कर्म मामले में कोच को सुनाई उम्र कैद की सजा, दो साल बाद आया फैसला


खुशी टाइम्स\मेरठ। मेरठ की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को एक नाबालिग जूडो खिलाड़ी के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी कोच मनीष उर्फ मैक्स को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपर जिला जज (पॉक्सो अधिनियम-2) संगीता की अदालत ने दोषी को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा के साथ-साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह मामला अनूपनगर फाजलपुर के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र का है, जहां का निवासी मनीष उर्फ मैक्स जूडो और कराटे का कोच था।

जानकारी विस्तार से 

घटना 2 जून 2023 की शाम की है, जब पीड़िता अपने 11 वर्षीय भाई के साथ कोचिंग के लिए स्कूल गई थी। अभियोजन के मुताबिक, मनीष ने पीड़िता के भाई और अन्य खिलाड़ियों को कमरे से बाहर भेज दिया और फिर पीड़िता को अपने गार्डरूम में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने पीड़िता को धमकी दी कि यदि उसने इस बारे में किसी को बताया, तो वह उसे जान से मार देगा। घटना के बाद मनीष ने अचेत अवस्था में पीड़िता को उसके घर छोड़ दिया और परिजनों को बताया कि उसे खेल के दौरान गंभीर चोट लगी है। परिजन उसे तीन अलग-अलग अस्पतालों में ले गए, लेकिन पीड़िता की हालत गंभीर बनी रही और उसे होश नहीं आया। आखिरकार, चौथे अस्पताल में भर्ती होने के आठ दिन बाद, 10 जून 2023 को पीड़िता को होश आया। होश में आने के बाद उसने परिजनों को कोच की घिनौनी हरकत के बारे में बताया। इसके बाद परिजन और ग्रामीण पीड़िता को गोद में लेकर कंकरखेड़ा थाने पहुंचे और मनीष के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।


पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पांच दिन बाद मनीष को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच में यह भी सामने आया कि मनीष उर्फ मैक्स का आपराधिक इतिहास रहा है। कुछ साल पहले वह छत्तीसगढ़ में गांजे की तस्करी के मामले में डेढ़ साल तक जेल में रह चुका था। जेल से छूटने के बाद उसने फाजलपुर के स्कूल में जूडो-कराटे की कोचिंग शुरू की थी। दो महीने के भीतर पुलिस ने ठोस सबूतों के साथ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई के दौरान पुलिस ने गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य पेश किए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, विशेष अदालत ने मनीष को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पिछले दो साल से मनीष जेल में बंद है और उसे सेशन कोर्ट के साथ-साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं मिली। एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि पुलिस की मजबूत पैरवी और प्रभावी जांच के चलते कोर्ट ने दोषी को कड़ी सजा सुनाई।

पीड़िता के पिता ने मनीष के अलावा तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी धमकी देने की शिकायत दर्ज की थी। पुलिस ने चारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में तीन अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया।




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