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स्पाइनोसॉरस प्रजाति का शिकारी डायनासोर का जीवाश्म मिला

स्पाइनोसॉरस प्रजाति का शिकारी डायनासोर का जीवाश्म मिला

लंदन । जीवाश्म विज्ञानियों को इंग्लैंड के आइल ऑफ व्हाइट के दक्षिणी तट के पास एक जीवाश्म मिला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जीवाश्म यूरोप के सबसे विशाल शिकारी जीव के होने का प्रमाण हो सकता है। बहुत ही कम मात्रा में जीवाश्म के अध्ययन से वैज्ञानिक ज्यादा जानाकारी हासिल नहीं कर सके, लेकिन फिर आकार से उनका अनुमान है कि यह स्पाइनोसॉरस प्रजाति का शिकारी डायनासोर होगा।

वैज्ञानकों को लगता है कि यह अवशेष विशाल दो पैरों वाले मांसाहारी शिकारी जीव का हो सकता है जो महाद्वीप में अब तक का पाया गया विशालतम थेरोपॉड डायनासोर है। उनका कहना है कि इसकी टक्कर का एक ही जीव मेगालोसॉरिड हो सकता है जिसके जीवाश्म फ्रांस में पाए गए थे वह भी जुरासिक युग का ही जीव था। थेरोपॉड्स डायनासोर के एक बड़ी वंशशाखा के जीव थे जिसमें टायरैनोसॉरस,मेगालोसॉरस , वेलोसिरेप्टर्स और स्पाइनोसॉरस जैसे डायनासोर शामिल हैं। शुरुआती जुरासिक काल में ये पुराने जीव विशाल, धरती पर विचरने वाले मांसाहारी जीव थे। माना जाता है कि इनमें से स्पाइनोसॉरस सबसे लंबे और बड़े जीव हुआ करते थे।उत्तरी अफ्रीका पुरातन नदी तल में बहुत सारे स्पाइनोसॉरस के जीवाश्म मिलते हैं इनकी लंबाई 15 मीटर से ज्यादा होती थी और उनके शरीर का भार 13 मेट्रिक टन से ज्यादा हुआ करता था। आइल ऑफ व्हाइट में मिले जीवाश्म बहुत विशाल नहीं हैं। लेकिन शोधक्रताओं का कहना है कि वह दक्षिणी इंग्लैंड या दक्षिण पश्चिम यूरोप में मिले अब तक किसी भी स्पाइसॉरस के जीवाश्म से बड़ा लगता है।

साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी क्रिस बार्कर ने बताया कि इसकी कुछ आकृतियों से पता चलता है कि यह एक विशाल जानवर था जिसकी लंबाई 10 मीटर से भी ज्यादा थी और यह शायद यूरोप का सबसे विशालकाय शिकारी डायनासोर था। लेकिन दुख की बात है कि इतने कम अवशेष से ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है।स्पाइनोसॉरस के जीवाश्म बहुत ही कम पाए जाते हैं। अभी तक आइल ऑफ व्हाइट में केवल तीन ऐसे संदेहास्पद जीवाशाम पाए गए हैं और वे भी पिछले एक दो साल में ही मिले हैं। बार्कर और उनकेसाथियों क लगता है कि दक्षिणपश्चिम तट पर उनकी की गई खोज एक अलग ही प्रजाति की है। लेकिन इतने कम अवशेषों से ऐसा दावा करना बहुत मुश्किल है। पेडू और पूंछ की मिली हड्डियां दर्शाती है कि यह बहुत ही बड़ा जीव था और उसकी रीढ़ का तानाबाना सुझाता है कि यह स्पाइनोसॉरस जाति का जीव हो सकता है। जिस वातावरण में यह जीवाश्म मिला है, वैसे ही वातावरण में स्पाइनोसॉरस पाए जाते थे।

जिस चट्टान में जीवाश्म मिला है वह की रेतीले लैगून का इलाका में थी जिसे यह शिकारी मछलियों को खाया करता था। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह जानवर अगर दूसरे स्पाइनोसॉरस की तरह होगा तो वह जरूर तैरने की क्षमता रखता होगा। फिलहाल वैज्ञानिकों ने इस जानवर का नाम इसकी वंशशाखा को देखते हुए व्हाइट रॉक स्पाइनोरिड रखा है। इतने कम अवशेषों में मिलने के कारण शोधकर्ताओं ने इसका वैज्ञानिक नाम अभी नहीं रखा है। उन्हें उम्मीद है कि बाद में इसके दूसरे अवशेष भी मिल सकेंगे। बता दें कि जूरासिक युग के जीवों में शिकारी डायनासोर सबसे प्रचलित जीव हैं। जब भी किसी डायनासोर जैसे विशाल जीव के जीवाश्म अवशेष वैज्ञानिकों को मिलते हैं तो वह पूरी दुनिया की सुर्खियां बटोर लेता है।

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