इतिहास का सबसे बड़ा धमाका
तो दोस्तों अपने धमाके तो बहुत से देखे होंगे पर शायद आपको इस धमाके के बारे में ज्ञान नहीं ! जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया, इतिहास का सबसे बड़ा धमाका जिसने कई शहरों को अपनी चपेट में ले डूबा जिसे पढ़कर आपके भी होश उड़ जायेंगे!
1986 की घटना उत्तरी Ukrane में बेस्ड चर्नोबेल (charnobly) नाम का एक शहर में हुई थी! जिसके
वजह से 30 लोगो की जान उसी वक़्त चली गयी थी! उसके बाद जो हुआ उस घटना ने लाखो लोगो
को अपने चपेट में ले लिया! हिरोशिमा और नागासाकी के अटैक्स आज तक के सबसे घातक परमाणु
दुर्घटना थी ये हादसा आपको दोबारा सोचने पर मजबूर कर देगा की चर्नोबेल के इस
डरावने दुष्परिणाम को जानने के लिए मैंने जब रिसर्च किया तब जो मैंने पाया उसने मेरे
होश ही उड़ा दिए!
26 April 1986 में रात 1:24 मिनट पर एक बोहुत ही बड़ा धमाका हुआ जिसकी वजह से आस पास
रहने वाले काफी डर गये थे, ठीक 12:28 मिनट पर इस धमाके की शुरुआत हो चुकी थी इमरजेंसी सेल
कुलिंग के लिए सेफ्टी टेस्ट किया जा रहा था इसकी मदद से ऑपरेटर्स पॉवर फेलिएर के
दोव्रान रिएक्टर में होने वाले बदलाव का अभ्यास करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने
सारे सेफ्टी सिस्टम बंद क्र दिए थे ग्रेफाइट्स से बनी कण्ट्रोल रौड्स जो न्यूक्लियर
रिएक्शन में हो रहे फ्रिक्शन के दौरान न्यूट्रॉन
को सोख कर हाई एनर्जी बदलाव को नियंत्रित करने में मदद करते है उस वक़्त
इलेक्ट्रिसिटी की कम मात्र होने से आस्न्तुलित हो गए उपर से रेअक्टोर्स के डिजाईन
में पहले से ही कुछ खराबी थी जो ऑपरेटर्स के गलत फैसले और नौसीखेपन के कारन 4 नंबर के रिएक्टर में
अनियंत्रित (uncontrol reaction) की वजह बन गए इस एक्सीडेंट के बाद पानी लावा के सामान गरम
पानी के बाप में भर गया और एक बोहुत ही बड़ा धमाका हुआ जिससे की 2 ऑपरेटर्स की तुरंत मौत हो गयी
जो उस वक़्त उसी जगह पर काम कर रहे थे उसके बाद दिन बीतते गए मौते बढती गयी उस
रेडिएशन के कारन 28 लोगो और वहां आग बुझाने वालो की भी मौत हो गयी
ग्रेफाइट्स धातु का मोर्टार रेअक्टोर्स के तौर पर इस्तेमाल किया गया था जिसकी वजह से आग में ग्रेफाईट का प्रमाण बहुत ही ज्यादा था लेकिन खौफनाक हादसा तो अभी बाकी था क्युकी धमाके की उस आग में सिर्फ ग्रेफाईट ही नहीं बल्कि Caesum 137 strontium90,Iodien131के रेडियोएक्टिव जैसे एलिमेंट की मात्र भी बहुत ही ज्यादा थी जो की जानलेवा मंजर फ़ैलाने के आलावा बहुत कुछ करने में सक्षम थी! धमाके के वजह से रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स वायुमंडल में 7 से लेकर 9km की ऊंचाई तक फ़ैल चूका था इसकी वजह से आने वाले दिनों में रेडियोएक्टिव बादल बनते रहे वायुमंडल को पूरी तरह से दूषित करते रहे घबराने वाली बात तो ये थी की वो सारे रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स 9 दिनों तक 8000km के दायरे में फ़ैल गए iodien131, का असर 14 दिनों में ख़त्म हो गया पर उसके कांटेक्ट में आते ही थाइरोइड और कैंसर जैसी बिमारी ने लोगो को अपनी चपेट में ले लिया!
casium137 strontium90 इन दोनों रेडियोएक्टिव पार्टिकल की आधी ज़िन्दगी 30साल की थी पूरी तरह से इसे ख़त्म होने में लघभग 1000 साल लग जायेंगे वहां की सड़के पानी और वाइट लिक्विड से कवर थी जिसके कारण वहां के लोग बीमार पढने लगे बहुत से लोगो को उलटी होने लगी और सर भी दुखने लगे लोगो को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की इस बिमारी से कैसे बचे रेअक्टोर्स नंबर 4 में हुए ब्लास्ट के 36 घंटे बाद अथॉरिटीज ने शेहेर खाली करवाना शुरू कर दिया लोगो को लग रहा था की शायद कुछ टाइम के लिए ले जाया जा रहा है इसलिए कुछ लोगो ने कुछ ज़रूरी सामान ले लिया और बाकी सब वहीँ छोड़ दिया लेकिन रेडिएशन के बढ़ते प्रभाव ने इसे परमानेंट Evolution में बदल गया और वो लोगो को कभी उनके शेहेर वापस नहीं लाया गया उनके घर और सामान आज भी वैसे ही रखा हुआ है जेसे वो 26 april 1986 की रात में रखा हुआ था पॉवर प्लांट से 30 किलोमीटर तक सभी एरिया खली करवा लिया गया जिसमे 53000 लोगो को हटाया गया और वहां जाना आज भी मना है! 2 Apri lके ब्लास्ट के 3 घंटे बाद वहां हेलीकाप्टर से मिटटी ,रेत उपर से डाले जा रहे थे आग को भुझाने के लिए इन सभी कोशिशो के बाद भी 10 दिन लग गए आज वो शहर पूरा वीरान और सुनसान पड़ा हुआ है जहाँ कभी सुबह शाम मुस्कुराती थी लोगो के खुशनुमा माहोल से आज उस जगह पर एक परिंदा तक नहीं क्युकी उस रेडिएशन के कारण सिर्फ हम इंसान को ही नहीं बल्कि सभी पेड पोधो पशु परिंदों का जीवन भी खतरे में था !
Supar dada
ReplyDeleteThnkxx
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