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आकाशगंगा ‎‎मिल्की वे में 100 से ज्यादा ब्लैकहोल मिले

आकाशगंगा ‎‎मिल्की वे में 100 से ज्यादा ब्लैकहोल मिले

आकाशगंगा ‎‎मिल्की वे में वैज्ञानिकों को 100 से ज्यादा ब्लैकहोल मिले हैं। आकाशगंगा के ये ब्लैक होल हमसे 80 हजार प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं। इस खोज के साथ ही वैज्ञानिकों को रहस्यमय स्टार क्लस्टर पालोमार 5 के बारे में समझने का मौका मिला है। माना जा रहा है कि आमतौर पर वैज्ञानिकों को जितने ब्लैक होल्स की उम्मीद होती है, ये उससे तीन गुना ज्यादा है। यह भी समझा जा सकेगा कि आने वाले वक्त में ये और ऐसे दूसरे स्टार क्लस्टर कैसे विकसित होंगे। यह रिसर्च कार्डिफ यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के साइंटिस्ट्स ने की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे दूसरी कई चीजों के बारे में भी पता चल सकता है, जैसे हाल ही में सितारों के गुच्छे की जगह एक स्ट्रीम पाई गई थी। ब्लैक होल से भरे पालोमार 5 जैसे गुच्छों से इन स्ट्रीम्स के पैदा होने का पता चल सकता है। यह गालेक्टीकहालो में है जहां अतिप्राचीन सितारे हैं। सितारों के आधार पर ही वैज्ञानिक पता लगाते हैं कि यहां कितने ब्लैक होल हो सकते हैं। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के ‎गिया स्पेस टेलिस्कोप से मिले डेटा के आधार पर पाया गया है कि ये सभी एक साथ पैदा हुए थे। सितारों की यह धारा आसमान में एक साथ एक ही दिशा में चल भी रही है।

थे‎या 456 नाम की इस धारा पर आधारित स्टडी अमेरिकन ऐस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 237वीं बैठक में पेश किया गया। स्टडी के लेखक जेफ ऐंड्रूज ने बताया है कि एक समूह में सितारे आमतौर पर एक साथ ही पैदा होते हैं लेकिन थे‎या 456 की खास बात यह है कि यह एक गुच्छा नहीं है। यह फैला हुआ और लंबा है। रिसर्चर्स का मानना है कि ब्लैक होल सितारों को निगलते रहते हैं और फिर सिर्फ वही बाकी रहते हैं, सितारे खत्म हो जाते हैं। हमारी आकाशगंगा में सितारों के क्लस्टर (समूह) तो अनेक हैं लेकिन जनवरी में एक स्टडी में ऐसे परिवार का पता चला जिसमें करीब 500 सितारे शामिल हैं। ये सितारे एक गुच्छे की जगह धारा की तरह बहते से दिखते हैं

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