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डरावनी मगर सच्ची घटना

डरावनी मगर सच्ची घटना 

दिल्ली से अलीगढ की सच्ची घटना 


रिया अपने मम्मी सुमन और पापा विनोद के साथ Delhi में रहती थी, वह हर साल अपने मम्मी पापा के साथ गर्मी की छुट्टियों में ननिहाल जाती थी, उसका ननिहाल अलीगढ जिले में है.

एक बार की बात है रिया के स्कूल की छुट्टियाँ पड़ चुकी थीं, रिया और सुमन ननिहाल जाने के लिये तैयार थे, विनोद को ऑफिस में काफी काम होने की वजह से शाम को छुट्टी मिल पाई

दिन ढल चूका था सुमन ने कहा अब रहने दो अब जाने का समय नहीं हैं, सुबह होते ही हम अलीगढ के लिए निकल जायेगें ,इस पर विनोद ने कहा हमारे पास खुद की कार है दिन ढल गया है तो क्या हुआ हमें कोनसा वाहन बदलना है.

रिया भी जिद करने लगी मम्मा अभी चलो ना मुझे अभी नानी के घर जाना है, रिया और विनोद के बहुत जिद करने पर सुमन जाने के लिए तैयार तो हो गईं थीं, लेकिन अंदर ही अन्दर ना जाने क्यूँ उसका मन घबरा रहा था,अब रात हो चुकी थी और इन लोगों की गाडी सड़क पर चले जा रही थी, रात की वजह से सड़क पर वाहनों का आना-जाना कम हो गया था.

विनोद कार चला रहा था, सुमन और रिया पीछे की सीट पर बैठे थे, जिस गाँव में उन्हें जाना था वह गाँव अलीगढ से करीब 30 किलोमीटर आगे था,वह अलीगढ पहुँच चुके थे, आगे का रास्ता कच्चा और सुनसान था वहां कोई आता जाता भी नहीं दिख रहा था, गाड़ी अब कच्चे रस्ते पर चले जा रही थी, थोड़ी ही दूर चलने पर गाडी अचानक रुक गयी.

रिया ने पापा से कहा, ”पापा क्या हुआ गाडी बंद कैसे हो गयी, विनोद ने कहा पता नहीं बेटा उतरकर देखता हूँ, सुमन ने कहा जल्दी देखिये और यहाँ से चलिए कितना सुनसान रास्ता है मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा, कार से उतरकर विनोद ने गाडी के बोनट को खोलकर देखा लेकिन गाडी में कहीं कोई कमी नहीं दिखी, वह कार के अंदर आकर बैठ गया और कुछ सोचने लगा.

तभी सुमन ने कहा क्या हुआ चलिए ना, विनोद अभी भी कुछ सोच रहा था, फिर सुमन ने रिया के पापा के कंधे को पकड़कर जोर से हिलाया और कहा क्या हुआ क्या सोचने लगे में कह रही हूँ चलिए यहाँ से मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है. एक तो सुनसान रास्ता ऊपर से रात जल्दी चलिए, तब विनोद ने कहा, ”में ये सोच रहा हूँ की गाडी में कोई खराबी नहीं है फिर गाडी रुक क्यूँ गई.

देखिये क्या पता गाडी स्टार्ट हो जाये, तब विनोद ने गाडी स्टार्ट करने के लिए चाबी घुमाई और गाडी स्टार्ट हो गई अब कार दोबारा उस रात के अँधेरे को चीरते हुए फिर आगे बढ़ने लगी.

अभी थोड़ी ही दूर कार चली थी की रिया चिल्लाई, ”मम्मी”

एकदम से विनोद ने कार को रोका दोनों मम्मी पापा रिया से कहने लगे क्या हुआ बेटा चीखी क्यूँ, इसपर रिया ने कहा पापा मुझे ऐसा लगा जैसे हमारी कार के निचे एक आदमी और औरत आ गये हैं,विनोद ने कहा नहीं बेटा ऐसा कुछ नहीं है, अगर वह औरत आदमी हमारी कार के निचे आ जाते तो हमें भी तो पता चलता, और वैसे भी रात बहुत हो गई है, मुझे नहीं लगता ऐसे में इस रास्ते पर हमारे अलावा कोई और होगा.

रिया की ऑंखें डर से फटी हुई थीं, और वह कह रही थी नहीं पापा trust me मैंने देखा उन आदमी औरत को, सुमन ने कहा गाडी थोड़ी तेज़ चलाइये.

गाडी की रफ़्तार विनोद ने तेज़ कर दी, तभी कार के शीशे में विनोद को एक डरावना चेहरा दिखाई दिया, उस डरावने चहरे को देखते ही विनोद का हाथ स्टेरिंग से छूटा और गाडी का बैलेंस बिगड़ने की वजह से गाडी इधर उधर चलने लगी.


जैसे तैसे करके विनोद ने अपने आपको और गाडी को संभाला तभी सामने एक औरत और आदमी दिखाई दिए, जो गाडी रोकने का इशारा कर रहे थे, लेकिन विनोद ने गाडी नहीं रोकी, बल्कि गाडी की रफ़्तार और तेज कर ली, क्यूंकि अभी तक तो वह रिया की बात पर विश्वास नहीं कर रहे थे, और अचानक से उन दोनों आदमी औरत का ऐसे कार के सामने आना और लिफ्ट मांगना.

सुमन और विनोद को डर से भर देने के लिए काफी था, विनोद तो पसीने से लथपथ गाडी को अंधाधुंध रफ़्तार में भगाए जा रहा था.

तभी ये क्या वह औरत और आदमी जिनको विनोद ने पीछे छोड़ा था, फिर सामने खड़े थे और गाडी रोकने का इशारा कर रहे थे, अब तो उन तीनों की जान मुंह को गई थी. 

अचानक सुमन का फ़ोन बजा हेलो कौन?..

दूसरी तरफ से सुमन का भाई अर्जुन बोल रहा था, ”हेलो दीदी कैसी हैं आप?..

सुमन ने कहा भैया कुछ ठीक नहीं है इस रास्ते पर बहुत गड़बड़ है, और सुमन ने उन दोनों आदमी औरत के बारे में भी अर्जुन को बताया, तब अर्जुन ने कहा दीदी आप चिंता मत करो में अभी आता हूँ, और 10-15 मिनट बाद ही अर्जुन वहां रास्ते पर खड़ा था, विनोद ने गाडी रोकी और कहा अच्छा हुआ अर्जुन तुम आ गए.

पता नहीं क्या हो रहा था हमारे साथ कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, अर्जुन ने कहा, ”कोई बात नहीं जीजाजी में आ गया हूँ ना अब आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.

अर्जुन भी अब कार में बैठा और कार घर की तरफ चल दी, अब तो मानो जैसे सुमन विनोद और रिया का डर अर्जुन के आ जाने से हवा हो गया था.

अब सब लोग घर पहुँच चुके थे, अर्जुन ने कहा, ”लाइए जीजाजी कार की चाबी मुझे दीजिये में पार्क करके आता हूँ आप अंदर जाइये, विनोद ने कहा ठीक है और चाबी अर्जुन को दे दी

जैसे ही रिया और उसके मम्मी पापा ने घर में Enter किया तीनों चोंक पड़े घर में सब लोग रो रहे थे, और सामने किसी की लाश पड़ी थी यह देख सुमन और विनोद दंग थे, की क्या हुआ है घर में और हमें अर्जुन ने कुछ नहीं बताया.

सुमन की माँ ने रोते हुए सुमन से कहा बेटा तेरा भाई अर्जुन अब इस दुनिया में नहीं रहा, इतना सुनते ही सुमन विनोद और रिया के पैरों तले ज़मीन खिसक गई.

सुमन को विश्वास ही नहीं हो रहा था, क्यूंकि जो भाई घर के बाहर तक उसके साथ था घर में उसकी लाश पड़ी हुई थी, यह देखने के लिए की कहीं यह मेरा वहम तो नहीं सुमन ने अर्जुन के चहरे से कफ़न हटाया हाँ यह सच था सामने जो लाश पड़ी थी वह अर्जुन की ही थी.

सुमन के पिता ने बताया, ”की रात 9 बजे अर्जुन अपनी Bike से घर आ रहा था तभी उसकी Bike को एक ट्रक ने ज़ोरदार टक्कर मारी जिससे उसके सर में चोट आई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई.

अगर अर्जुन मर चूका था, तो जो बाहर था वह कौन था?…

To Dosto  aapne dekha ki arjun ne mr ke bhi kaise apne didi or jeeja ji ki mdd ki Aise kayi haadse hmari zindagi me hote hai 

Aapko ye story kisi lagi comment me hme zaroor btaye ok dosto ab me milunga aapko nayi kahani k saath tb tk good bye take care shafa khair

                                                                                                                                            @Rehman

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