पूजा का आज कॉलेज में पहला दिन था। वह इस दिन को लेकर बहुत खुश थी। नए दोस, नया माहौल। पूजा कॉलेज में प्रवेश करते ही उसकी मुलकात राकेश से हुई। ऊँचा कद, गोरा, घने बाल, दिखने में एकदम आकर्षक।पूजा उसे देख कही खो गई थी। राकेश ने पूजा को नहीं देखा और उसके पास से निकल गया। अचानक से एक लड़की आई और हँसकर बोली,
“क्या देख रही हो? कॉलेज की हर लड़की उस पर इसी तरह फ़िदा है। पर वह ज्यादा किसी को घास नहीं डालता है।”
हाथ आगे बढ़ाते हुए लड़की ने कहा,
“हेलो, मेरा नाम प्रीति है। और मैं 2nd year में पढ़ती हूँ।”
पूजा ने कहा,
“ओह, तो फिर आप मेरी सीनियर हुई। मेरा नाम पूजा है।”
प्रीति ने कहा,
“अच्छा न्यू एडमिशन। अच्छा क्लास का समय हो रहा है मैं चलती हूँ।’
यह कहकर प्रीति वहाँ से चली गई।
पूजा अब रोज राकेश को छुप-छुप के देखती और सोचती,
“कहाँ मैं और कहाँ वह सुंदर सा राजकुमार जैसा। वह मुझे देखता ही नहीं।”
एक दिन कॉलेज में सिंगिंग कम्पटीशन थी। पूजा बहुत अच्छा गाना गाती थी। उसने गाना गाया। राकेश भी वहाँ मौजूत था।
पूजा की आवाज ने उसका दिल छू लिया। कॉलेज में सभी ने उसकी बहुत तारीफ की। और राकेश का ध्यान पूजा की तरफ जाने लगा। उसके नैन, नक्श, सादगी उसको आकर्षित कर रहे थे।
एक दिन जोरों की बारिश हो रही थी। पूजा बस स्टॉप पर खड़ी थी। बारिश के बूंदो से खेल रही थी। राकेश बाइक लेकर कॉलेज से घर जा रहा था। अचानक से पूजा को देखा और रुक गया। कुछ देर दूर से पूजा को बारिश के बूंदो के साथ खेलते देख उसको सुकून मिल रहा था।
राकेश पूजा के पास गया और कहा,
“हेलो पूजा। मेरा नाम राकेश है। मैंने तुम्हे गाना गाते कॉलेज में देखा था। इसलिए तुम्हे जनता हूँ।”
पूजा बिलकुल चुप चाप खड़ी थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था की सपना है या हक़ीक़त।
राकेश ने कहा,
“आपको कहाँ जाना है? चलो मैं छोड़ देता हूँ।”
पूजा चुप चाप बाइक पर बैठ गई और बता दिया कहाँ जाना है। पूजा को मानो जैसे पंख लग गए हो। बाइक, राकेश और ऊपर से बारिश। राकेश ही बोले जा रहा था। पूजा को समझ ही नहीं आ रहा था कुछ, उसे लग रहा था की बस वक़्त थम जाए।
देखते देखते हॉस्टल आ गया। पूजा बाइक से उतरी और राकेश को धन्यवाद कहा। और बाई बोलकर अपने हॉस्टल में चली गई। हॉस्टल की कुछ लड़किया जो उसकी रूममेट थी उसको छेड़ने लगी, ओह आज तो कॉलेज के सबसे हैंडसम लड़के के साथ बारिश में…..
पूजा ने कहा, “चुप रहो ऐसा कुछ नहीं है।”
पर मन ही मन लडडू फुट रहे थे। उधर राकेश भी पूजा के यादों में खोया हुआ था। जो गाना पूजा ने गाया था, उसने उसे मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था और वही बार-बार सुन रहा था।
अब यह रोज का हो गया। राकेश पूजा को लेने भी जाता और हॉस्टल तक छोड़ भी आता। नजरे तो इज़हार कर चुकी थी बस इकरार बाकि था।
पूजा का आज आखरी पेपर था। उसके बाद वह अपने गांव जाने वाली थी।
राकेश सुबह से बेचैन सा है। वह सोचता है,
“आज तो बोल ही दूंगा।”
जैसे ही पूजा बाहर आई, राकेश ने उसको कहा,
“क्या तुम आज रुक सकती हो? मैं तुम्हे कही ले जाना चाहता हूँ।”
पूजा ने कहा,
“माँ से पूछ कर बताती हूँ।”
पूजा ने माँ को फ़ोन लगाया और कहा,
“आज मेरी सहेलियाँ रुकने को बोल रही है। क्या मैं कल आ जाऊँ?”
इस पर माँ ने कहा,
“ठीक है। पर कल आ ही जाना, नहीं तो तू जानती ही है अपने बाबूजी को वह कितना गुस्सा करते है। उन्हें लड़कियों का ऐसा घूमना फिरना पसंद नहीं है। कैसे शहर पढ़ने भेज दिया ”
यह बोलकर उसकी माँ ने फ़ोन रख दिया।
पूजा ने राकेश से कहा,
“कहाँ चलना है”
पूजा राकेश के बाइक पर सवार हो जाती है। रास्ते में वह पूजा की पसंदीदा पानी पूरी खाते है, गन्ने का जूस पीते है और चलते जाते है। राकेश पूजा को गाना गाने के लिए बोलता है।
युही गुनगुनाते-गुनगुनाते 2 घंटे के सफर के बाद वह दोनों एक समुद्र के किनारे पर पहुँच जाते है। पूजा ने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा। वह बहुत खुश होती है।
थोड़ी देर बाद, पूजा रेत पर एक दिल बना देखती है जिसमे पूजा और राकेश लिखा होता है।
राकेश घुटनो पर बैठकर उसको कहता है,
“क्या तुम जिंदगी के इस सफर पर मेरा हमसफ़र बनोगी पूजा?”
पूजा बोलती है,
“हाँ राकेश। मैं तुमको बहुत पसंद करती हूँ। कुछ देर बाद बीच पर लाइट जल जाती है। अच्छा डिनर उनका इंतजार कर रहा होता है।
राकेश पूजा से कहता है,
“यह सब तुम्हारे लिए है पूजा ।”
पूजा कहती है,
“इतना सब कैसे किया?”
राकेश बताता है,
“उसके पापा शहर के नामी बिजनेसमैन है। पैसो की कोई कमी नहीं है।”
पूजा को उसके बारे में कुछ पता ही नहीं था। वह सोच में पड़ जाती है।
फिर राकेश बोलता है,
“कहाँ खो गई हो पूजा जी ?”
पूजा सोच से बाहर आती है। और फिर दोनों समुद्र के किनारे पर आसमान में चाँद तारे देख बिताते है। पता ही नहीं चला कब सुबह हो गई।
राकेश ने पूजा से कहा,
“तुम रुक नहीं सकती क्या?”
पूजा बताती है,
” अब माँ रुकने नहीं देगी, जाना पड़ेगा। 20-25 दिन की ही तो बात है, छुट्टियां ख़त्म होते ही आ जाऊँगी। तुम फ़ोन पर बात करते रहना। ”
राकेश बोलता है,
“ठीक है। और जैसे ही कॉलेज खत्म हो जायेगा, मैं घर में शादी की बात भी कर लूंगा पूजा।”
फिर राकेश पुजा को बस स्टैंड ले जाता है। और बस में बैठा देता है। पूजा बस स्टैंड में बैठी है पर थोड़ी चिंतित है की क्या उसके बाबूजी उसके और राकेश के रिश्ते को स्वीकार करेंगे? और तो और क्या राकेश के घरवाले भी मानेंगे? पर खुश भी थी क्यूंकि उसको राकेश का साथ मिल गया था।
इन सब बातों को सोचते-सोचते वह अपने गांव में आ गई। उसका भाई उसे लेने आया था। दोनों घर पहुँचे। पर पूजा खोई-खोई सी थी। मन तो उसका राकेश के पास ही था। यह 24 दिन दोनों को महीने से कम नहीं लग रहे थे। जब घरवाले सो जाते तो दोनों घंटो तक फ़ोन में बातें करते। अपने भबिष्य के सपने सजाते।
24 दिन निकल गए। और फिर छुट्टियां ख़त्म हो गई। राकेश आस्था को लेने बस स्टैंड गया। दोनों बहुत ही खुश थे। धीरे-धीरे कॉलेज के दिन भी खत्म हो गए। और पूजा के गांव जाने का समय आ गया।
राकेश ने पूजा से कहा,
“मैं बहुत ही जल्द पिताजी से बात करूँगा रिश्ते की और गांव जाऊँगा।”
पूजा ने भी कहा,
“मैं भी गांव जाकर मा - बाबूजी से बात करुँगी।
फिर पूजा अपने गांव चली गई।
राकेश ने अपने पिताजी को पूजा के बारे में बताया। इस पर उसके पिताजी ने कहा,
“वह न तो हमारे बिरादरी के है और न ही उनकी हैसियत हमारे बराबर है।”
उधर पूजा ने डरते-डरते अपने माँ को सब बताया। उसकी माँ ने उसके पिताजी को कहा।
इस पर पिताजी ने पूजा से कहा,
“मुझे यह रिश्ता मंजूर नहीं है पूजा। क्यूंकि इस गांव में मेरी इज्जत है। कैसे मैं तुम्हारी शादी अपनी बिरादरी बाहर शहर के अनजान लोगों के वहाँ कर दूँ। मैं गांव के लड़के के साथ तुम्हारी शादी करवाऊँगा। और शहरी लोगों का क्या भरोसा।
इस पर पूजा ने कहा,
“पिताजी आप एक बार राकेश से मिल ले और उसके परिवार से भी। फिर आप अपना फैसला सुनाना।”
बहुत बोलने के बाद दोनों के परिवार मिलने से राजी हो गए। राकेश अपने पिताजी और माँ के साथ पूजा के गांव आया। दोनों बहुत खुश थे अब उनको कोई भी शादी के बंधन से बंधने से रोक नहीं सकता था। दोनों के घरवाले आपस में बात करते है। और शादी के लिए मान जाते है।
इस पर पूजा के पिताजी बोलते है,
“क्यों न पंडितजी को बुलाकर शादी का शुभ महूर्त भी निकलवा दे?”
पंडितजी आते है और दोनों की कुण्डलिया मांगते है।
कुंडली देखकर पंडितजी बोलते है,
“अगर आप बुरा न माने तो मैं एक बात बताना चाहता हूँ की यह शादी आप न ही करें तो अच्छा है।”
पूजा के पिताजी बोलते है,
“क्यों ऐसा क्या हुआ?”
पंडितजी बोलते है,
“लड़के का मंगल भारी है। इसकी शादी किसी मांगलिक से ही करें तो अच्छा होगा नहीं तो लड़के का अहित होगा। और हो सकता है की जान का भी खतरा हो।”
इस पर राकेश बोलता है,
“मैं यह सब बातें नहीं मानता और आप सब भी यह सब न माने।”
पंडितजी चले जाते है।
पूजा के पिताजी बोलते है,
“मैं इन सब बातों में बहुत बिश्वास करता हूँ। मैं पूजा की शादी तुम्हारे साथ नहीं करा सकता।”
राकेश अपने पिताजी को कहता है की पूजा के पिताजी से बात करें। राकेश के पिताजी उन्हें बहुत समझाते है पर पूजा के पिताजी नहीं मानते।
पूजा अपने पिताजी से कहती है,
“पिताजी मान जाओ ऐसा कुछ ऐसा कुछ नहीं होगा। वैसे भी भबिष्य किसने देखा? जो किस्मत में लिखा होगा वही होगा।”
पूजा के पिताजी कहते है,
“ठीक है मैं सोचकर देखूंगा।”
फिर राकेश के घरवाले वहाँ से चले जाते है।
घर जाने के बाद राकेश की माँ उसके पिताजी से कहती है,
“मैं नहीं चाहती की मेरे बेटे की जान को कोई भी खतरा हो। मुझे यह शादी बिलकुल भी मंजूर नहीं है। आप राकेश को समझाइए। मैं अपना बेटा नहीं खोना चाहती।”
राकेश के पिताजी कहते है,
“बात तो तुम्हारी सही है। अगर शादी के बाद कुछ बुरा हुआ तब क्या होगा?”
इधर पूजा के माता-पिता उसके कमरे में जाते है और उसकी माँ कहती है,
“देख बेटा मुझे पता है की तुम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो लेकिन तुम ही सोचो कल को अगर राकेश को कुछ हो जाएगा तो क्या तुम देख पाओगी? हम तुझे उस हालात में नहीं देख पाएंगे बेटा।
उसके पिताजी उसके सिर पर हाथ रखते है और बोलते है,
“बेटा यह सब तुम दोनों के भलाई के लिए है। क्या क्या राकेश के माता-पिता अपने बेटे को खोने का दुःख बर्दाश कर पाएंगे? तू सोच कर देख।”
इन सब बातों को सोचते ही पूजा डर जाती है। पूजा बहुत सोचती है। फिर जब राकेश का फ़ोन आता है तो पूजा उसे बताती है,
तुम भूल जाओ मुझे । माँ-पिताजी ठीक कहते है अगर तुम्हे कुछ हो गया तो हम सबका क्या होगा? मैं तुम्हारे बिना कैसे जियूँगी? इससे अच्छा है की तुमसे दूर हो जाऊँ।
राकेश पूजा को बहुत समझता है और कहता है की यह सब अंधबिश्वास है। पर पूजा उसकी बात नहीं मानती है।
राकेश कहता है,
“मैं अभी तुम्हारे घर आता हूँ। हम दोनों बैठकर बातें करते है।”
इसपर पूजा कहती है,
अगर तुम मेरे घर आए और मुझसे मिलने की कोशिश की तो मैं मर जाऊँगी।”
यह कहकर पूजा फ़ोन रख देती है। उसके बाद बोहोत रोती है। और राकेश का हाल भी बेहाल है।
अब राकेश और पूजा के रास्ते अलग-अलग हो चुके थे। कुछ साल निकल जाते है। पूजा के माता-पिता गांव में पूजा के लिए एक लड़का पसंद करते है। पूजा दिल पर पत्थर रखकर शादी के लिए हाँ बोल देती है। और पूजा की शादी विशाल नाम के लड़के के साथ कर देता है। पूजा बहुत दुखी है। राकेश की यादें अभी तक नहीं गए। और वह मन से विशाल को अपना भी नहीं पा रही थी।
एक साल बाद पूजा का एक बेटा हुआ। जब उसका बेटा 3 साल का हुआ तब अचानक एक दिन उसके बच्चे की हालत बहुत बिगड़ गई। पूजा अपने बेटे को लेकर हॉस्पिटल पहुँची। वहाँ के डॉक्टर ने कहा की वह अपने बच्चे का इलाज शहर के हॉस्पिटल में करें।
इस पर सब घबरा जाते है और पूजा अपने पति और अपने पिताजी के साथ अपने बेटे को लेकर शहर जाती है। हॉस्पिटल में जाकर कुर्सियों पर बैठ जाते है और अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करते है। पूजा का बेटा खेलते-खेलते एक आदमी के पास कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है। पूजा अपने बच्चे को लेने जाती है और देखती है की वह आदमी और कोई नहीं बल्कि राकेश है। वह उसे देखती रहती है। पर राकेश के चेहरे पर कोई भाब नहीं रहते। और वह इधर उधर ही देखता रहता है जैसे की वह पूजा को जनता ही न हो।
इतने में राकेश के पिताजी आ जाते है और पूजा को देखकर रोने लगते है।
राकेश के पिताजी कहते है,
“काश उस समय हमने तुम्हारी बात मान ली होती।”
इतने में पूजा के पिताजी आते है और राकेश के पिताजी से पूछते है,
“आप यहाँ कैसे?”
राकेश के पिताजी कहते है,
“राकेश ने मानसिक संतुलन खो दिया है। और 2 सालो से उसका इलाज चल रहा है।”
इतने में पूजा के पति उन्हें बात करते हुए देख लेता है और पूछा,
“यह कौन है?”
पूजा के पिताजी बोलते है,
“यह पूजा के कॉलेज का दोस्त है।”
सब बड़े दुखी होते है। पूजा अपने बच्चे को हॉस्पिटल से घर लेकर आती है। और अकेले में अपने पिताजी से बोलती है,
“देख लिया यह कुंडली कुछ नहीं होती जो होना है वही होता है।
Is kahani se hme ye seekh milti h ki saccha pyaar hmesha zinda rhta h zindagi me kabhi bhawok hokr hme faisla nhi lena cahiye
धर्म जात ऊँच नीच अमीर गरीब यह सब कुछ नही होता ओर जो इन सब चीज़ों को मानता है वो इंसानियत को भूल जाता है कृप्या इंसानियत को याद रखे क्योंकि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का होता है
AGR STORY ACCHI LAGI HO TO COMMENT KRKE HME ZAROOR BTAYE
#@Rehman
Gud luck
ReplyDeleteShukriya
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